जम्मू-कश्मीर में 59 लाख टन लिथियम मिला:कीमत 3.3 लाख करोड़; प्रोडक्शन कामयाब रहा तो खाड़ी देशों जैसा अमीर होगा भारत
59 Lakh Tonnes Of Lithium Found in J & K : देश में मिले लिथियम भंडार की कुल क्षमता 59 लाख टन है जो दुनिया का सातवां सबसे बड़ा लिथियम भंडार है. भारत से आगे बोलिविया, अर्जेंटीना, अमेरिका, चिली, ऑस्ट्रेलिया और चीन हैं. लिथियम एक ऐसा नॉन फेरस मेटल है.
भारत में इस्तेमाल करना होगा लिथियम : 59 Lakh Tonnes Of Lithium Found in J & K
नीलामी को लेकर सरकार की योजना है कि ये आमतौर पर अपनाई जाने वाली नीलामी प्रक्रिया की तरह सभी के लिए ओपन रहेगी. इसमें कोई भी बोली लगा सकता है. हालांकि बोली जीतने वाले को लिथियम का इस्तेमाल भारत में ही करना होगा. लेकिन फिलहाल भारत में लिथियम रिफाइनिंग की प्रक्रिया मौजूद नहीं है. ऐसे में इस भंडार से लिथियम निकालना भी एक चुनौती होगी.
59 लाख टन है जम्मू में मिला लिथियम भंडार : 59 Lakh Tonnes Of Lithium Found in J & K
देश में मिले लिथियम भंडार की कुल क्षमता 59 लाख टन है जो दुनिया का सातवां सबसे बड़ा लिथियम भंडार है. भारत से आगे बोलिविया, अर्जेंटीना, अमेरिका, चिली, ऑस्ट्रेलिया और चीन हैं. लिथियम एक ऐसा नॉन फेरस मेटल है, जिसका इस्तेमाल मोबाइल-लैपटॉप, इलेक्ट्रिक व्हीकल समेत कई आइटम्स के लिए चार्जेबल बैटरी बनाने में किया जाता है.
इस रेअर अर्थ एलिमेंट के लिए भारत अभी दूसरे देशों के भरोसे है. फिलहाल चीन में एक टन लिथियम की कीमत करीब 51,19,375 रुपये है, जबकि भारत में जो खजाना मिला है, उसमें 59 लाख टन लिथियम मिलने की संभावना है. इस हिसाब से उसकी कीमत करीब 3000 अरब रुपये आंकी गई है.
बदल जाएगा लिथियम के आयात का समीकरण : 59 Lakh Tonnes Of Lithium Found in J & K
भारत के लिए ये खोज बड़ी करामाती साबित होने जा रही है. अभी तक भारत में ज़रुरत का 96 फीसदी लिथियम आयात किया जाता है. इसके लिए बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है. भारत ने वित्त वर्ष 2020-21 में लिथियम ऑयन बैटरी के आयात पर 8,984 करोड़ रुपये खर्च किए थे. इसके अगले साल यानी 2021-22 में भारत ने 13,838 करोड़ रुपये की लिथियम ऑयन बैटरी इम्पोर्ट की थीं.
भारत को आत्मनिर्भर बनाएगी लिथियम की ये खोज : 59 Lakh Tonnes Of Lithium Found in J & K
भारत लिथियम का सबसे ज्यादा आयात चीन और हांगकांग से करता है. साल दर साल आयात की मात्रा और रकम में जोरदार इजाफा हो रहा है. आंकड़ों के मुताबिक भारत 80 फीसदी तक लिथियम का चीन से आयात करता है. इलेक्ट्रिक वाहनों पर फोकस बढ़ाने के बाद से भारत लिथियम आयात करने के मामले में दुनिया में चौथे नंबर पर रहा है.
क्या अब आसानी से बनेंगी बैटरी? : 59 Lakh Tonnes Of Lithium Found in J & K
लिथियम का भंडार मिलने और इसकी नीलामी होने के बावजूद लिथियम ऑयन बैटरी का निर्माण करना आसान नहीं होगा. दरअसल, लिथियम का उत्पादन और रिफाइनिंग एक बेहद मुश्किल काम है. इसके लिए अत्याधुनिक तकनीक की जरुरत होगी. इसे इस तरह भी समझा जा सकता है कि 7.9 मिलियन टन भंडार वाले ऑस्ट्रेलिया में लिथियम का खदान उत्पादन 69 हज़ार टन है.
वहीं चिली में 11 मिलियन टन भंडार के बावजूद महज 39 हज़ार टन का उत्पादन हो पाता है. ऐसे में भारत के लिए इस भंडार से उत्पादन करना आसान नहीं है.
क्या वाकई सस्ती होंगी बैटरी? : 59 Lakh Tonnes Of Lithium Found in J & K
भारत अगर अपने भंडार से लिथियम उत्पादन में कामयाब हो जाता है तो फिर ग्राहकों को फायदा मिल सकता है. इससे इलेक्ट्रिक बैटरी सस्ती हो सकती है जिससे इलेक्ट्रिक कारें ज्यादा सस्ती हो जाएंगी. दरअसल, इलेक्ट्रिक कारों की कीमत में करीब 45 फीसदी हिस्सेदारी इलेक्ट्रिक कारों में लगे बैटरी पैक की होती है. उदाहरण के तौर पर नेक्सन ईवी में लगे बैटरी पैक की कीमत 7 लाख रुपए है जबकि इस कार की कीमत करीब 15 लाख रुपए है.
भारत के ‘इलेक्ट्रिक मिशन’ को कितनी मदद? : 59 Lakh Tonnes Of Lithium Found in J & K
भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक भारत में चलने वाली 30% निजी कारें, 70% कमर्शियल वाहन और 80% टू-व्हीलर्स इलेक्ट्रिक हो जाएं. जाहिर है इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत में लिथियम ऑयन बैटरी का उत्पादन बढ़ाना जरुरी है. लेकिन ये केवल लिथियम का भंडार मिलने से मुमकिन नहीं होगा. इसके लिए लिथियम का इस्तेमाल बैटरी निर्माण में करना ज़रुरी है. इसके लिए भारत को चीन से सीखने की ज़रुरत है.
लिथियम ऑयन बैटरी पर चीन का दबदबा : 59 Lakh Tonnes Of Lithium Found in J & K
चीन ने 2030 तक 40 फ़ीसदी इलेक्ट्रिक कारों का लक्ष्य तय किया है. दुनियाभर में इस्तेमाल होने वाली हर 10 लीथियम बैटरी में से 4 का इस्तेमाल चीन में होता है. इसके उत्पादन में भी चीन दूसरों से आगे है. दुनियाभर के लीथियम बैटरी के कुल उत्पादन का 77 फीसदी चीन में होता है. लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने के लिए चीन ने 2001 में ही योजना तैयार कर ली थी. 2002 से ही उसने इलेक्ट्रिक कारों के निर्माण की योजना में निवेश शुरू कर दिया था.
चीन 20 साल से EV पर काम कर रहा है : 59 Lakh Tonnes Of Lithium Found in J & K
चीन ने फ़ैक्ट्रियां बनाने के साथ ही ये भी तय कर लिया था कच्चे माल की कमी ना हो. इसके लिए उसने ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका में लीथियम के खनन में निवेश किया. चीन के निवेश का नतीजा ये निकला कि टेस्ला और ऐप्पल समेत दूसरी कंपनियों ने अपनी फ़ैक्ट्रियां चीन में लगाईं. चीन ने 20 साल पहले EV की रणनीति पर काम शुरु कर दिया था जबकि 10 साल पहले तक यानी 2012 में दुनियाभर में क़रीब एक लाख 30 हज़ार इलेक्ट्रिक कारों की ही बिक्री हुई थी. 2020 तक ये आंकड़ा बढ़ कर 30 लाख और 2021 में 66 लाख पर पहुंच गया.
2035 तक दुनिया की आधी गाड़ियां इलेक्ट्रिक कारें होंगी : 59 Lakh Tonnes Of Lithium Found in J & K
अनुमान है कि 2035 तक दुनिया की सड़कों पर चलने वाली आधी गाड़ियां इलेक्ट्रिक कारें होंगी. आने वाले समय में इलेक्ट्रिक कारों का कुल बाज़ार 100 अरब डॉलर से ज्यादा का होगा. ऐसे में भारत को भी घरेलू मैन्युफैक्चरिंग के लिए बड़े पैमाने पर निवेश की ज़रुरत होगी. इस खोज के पहले आई एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारत को 2030 तक लिथियम ऑयन बैटरी के लिए 10 अरब डॉलर के निवेश की ज़रूरत होगी.
कैसे बैटरी में आत्मनिर्भर बनेगा भारत? : 59 Lakh Tonnes Of Lithium Found in J & K
अमेरिका के बाद भारत में सबसे ज्यादा लिथियम ऑयन बैटरी का आयात होता है. अमेरिका में करीब 1.65 लाख, भारत में 1.54 लाख और तीसरे नंबर पर मौजूद वियतनाम में 75 हज़ार लिथियम ऑयन बैटरी का आयात किया गया. भारत में सबसे ज्यादा बैटरी आयात चीन, जापान और वियतनाम से होता है. अब इस मामले में आत्मनिर्भर बनने के लिए भारत को एक तकनीक विकसित करनी होगी जिससे वो देश में लिथियम ऑयन बैटरी का उत्पादन कर सके. 2030 तक के लक्ष्य के मद्देनजर भारत को सालाना 1 करोड़ लिथियम ऑयन बैटरी का उत्पादन करने की ज़रुरत होगी.
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