Why Raksha Bandhan is Not Celebrated in These Villages

Raksha Bandhan 2023: आखिर क्यों भारत के इन गांवों में नहीं मनाया जाता है रक्षा बंधन

Why Raksha Bandhan is Not Celebrated in These Villages : रक्षाबंधन का त्यौहार भारत के मुख्य त्यौहारों में से एक है, लेकिन क्या आप जानती हैं कि भारत के कुछ गांव ऐसे भी हैं जहां पर लोग रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाते हैं। इन गांव में रक्षाबंधन न मनाने के पीछे कुछ कारण और रहस्य भी हैं जो आज हम आपको बताएंगे।

क्यों नहीं मनाते हैं भीकमपुर जगत पुरवा गांव में रक्षाबंधन?

Why Raksha Bandhan is Not Celebrated in These Villages

ग्रामीणों का मानना है कि जब सन 1955 में  भीकमपुर जगत पुरवा गांव में रक्षाबंधन का त्यौहार मना कर बहन ने भाई की कलाई पर राखी बांधी थी उसी दिन गांव में एक की हत्या हो गई थी।

उस दिन के बाद से अभी तक गांव में रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता है। इस गांव में बहनें रक्षा बंधन पर अपने भाइयों की कलाई पर राखी नहीं बांधती हैं ताकि राखी पर अशुभ घटनाएं न हों।

क्यों नहीं मनाते हैं सुराना गांव में रक्षाबंधन?

Why Raksha Bandhan is Not Celebrated in These Villages

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से 30 किलोमीटर दूर स्थित मुरादनगर के सुराना गांव में लोग रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाते हैं। रक्षाबंधन को लोग ‘काला दिन’ भी मानते हैं। यहां के लोग 12वीं सदी से रक्षाबंधन का पर्व नहीं मना रहे हैं। सुराना गांव पहले 11वीं सदी में सोनगढ़ के नाम से जाना जाता था। इस गांव में करीब 20 हजार से भी अधिक लोग निवास करते हैं।

सुराना में सैकड़ों साल पहले राजस्थान से आए पृथ्वीराज चौहान के वंशज सोन सिंह ने हिंडन नदी के किनारे अपना ठिकाना बसाया था और इसके बारे में मोहम्मद गोरी को पता चल गया था। इसके बाद मोहम्मद गोरी ने रक्षाबंधन वाले दिन ही पूरे गांव की जनता पर हाथियों से हमला करवा दिया और हाथियों के पैर के तले कुचले जाने से गांव के कई लोग मर गए और कुछ घायल भी हो गए।

उस दिन के बाद से ही सुराना गांव वासी इस दिन को ‘काला दिन’ बताते हैं। यहां के स्थानीय लोगों के अनुसार, इस दिन को श्राप लगा हुआ है और इसलिए रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने पर कई परेशानियां भी आ जाती हैं।

राजस्थान के पाली गांव में क्यों नहीं मनाते हैं रक्षाबंधन?

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राजस्थान के पाली गांव में पालीवाल ब्राह्मण विक्रम संवत सन् 1291-92 में पाली छोड़कर चले गए थे। वे अपने पूर्वजों को रक्षाबंधन पर पाली में तर्पण करते हैं। इस दिन पूर्वजों के बलिदान देने के कारण लगभग 700 साल बाद भी रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता है।

स्थानीय लोगों के अनुसार, इन गांवों में रक्षाबंधन न बनाने के पीछे ये अनोखे कारण बताए जाते हैं। इस आर्टिकल के बारे में अपनी राय भी आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। साथ ही, अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो, तो इसे शेयर जरूर करें। इस तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट Jyoti Patrika के साथ।

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