वर्किंग कपल्स के लिए बेहतर पेरेंटिंग के टिप्स:टाइम मैनेजमेंट के साथ जरूरी है सपोर्ट सिस्टम बनाना
‘बहुत बुरा लगता है मम्मी, मुझे तुम्हारा ऑफिस जाना। घर पर लौटूं और उस समय, दरवाजे पर ताला पाना। जाने कितनी बातें उस पल, चाहा करती तुमसे कहना, मां, तुम कल घर पर ही रहना।’- उषा यादव
अकेलापन : 4 Parenting Tips For Working Parents
बचपन के अकेलेपन को खेल-खिलौने, टीवी या स्मार्टफोन नहीं दूर कर सकते। स्कूल से लौट कर घर आती बच्ची, जो रोज मां को नहीं पाती, की मासूम ख्वाहिश इतनी भर है कि उसकी मां उसके साथ कुछ समय बिताए।
आधुनिक परिवेश में जीवन सुबह से शाम तक धन-सुविधा जुटाने के लिए एक भाग-दौड़ हो गया है। शहरों में नौकरी-पेशा मां-बाप के लिए घर पर अकेले अपने बच्चों के लिए समय निकाल पाना बहुत मुश्किल होता है।
करिअर फंडा में स्वागत!
पेरेंटिंग एक चुनौतीपूर्ण काम है, और यह तब और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है जब माता-पिता दोनों कामकाजी हों। भारत जैसे देश में, जहां संयुक्त परिवारों की अवधारणा प्रचलित है, कामकाजी जोड़ों को माता-पिता के रूप में अपने कर्तव्यों के साथ-साथ अपनी कार्य जिम्मेदारियों को भी संतुलित करना पड़ता है।
आज हम भारत में कामकाजी जोड़ों के सामने आने वाली पेरेंटिंग चुनौतियों पर चर्चा करेंगे और बच्चे के करिअर और शिक्षा पर उनके प्रभाव के साथ-साथ उन्हें दूर करने के उपाय भी सुझाएंगे।
इमोशनल बॉन्डिंग का कम होना : 4 Parenting Tips For Working Parents
कामकाजी जोड़े अक्सर अपने बच्चों के साथ इमोशनल बॉन्डिंग बनाए रखने के लिए संघर्ष करते हैं। सार्थक बातचीत करने और बच्चों के साथ इमोशनल रूप से जुड़ने के लिए समय निकालना चुनौतीपूर्ण होता है।
बच्चों के करिअर एवं एजुकेशन पर प्रभाव – माता-पिता के साथ इमोशनल बॉन्डिंग होने से बच्चों को बेहतर कम्युनिकेशन स्किल्स, इमोशनल इंटेलिजेंस और सामाजिक कौशल विकसित करने में मदद मिलती है। यह, बदले में, उनके शैक्षणिक और व्यावसायिक जीवन पर पॉजिटिव इफेक्ट डाल सकता है।
समाधान – इस समस्या का समाधान उपलब्ध समय का सदुपयोग करना है। उदाहरण के लिए, माता-पिता एक परिवार के रूप में एक साथ रात का खाना खाने की आदत बना सकते हैं और उस समय का उपयोग अपने दिन के बारे में बात करने और भावनात्मक रूप से जुड़ने के लिए कर सकते हैं। स्कूल के कार्यों और पाठ्येतर गतिविधियों में एक साथ भाग लेने से माता-पिता और बच्चों के बीच का बंधन भी मजबूत हो सकता है।
टाइम मैनेजमेंट : 4 Parenting Tips For Working Parents
वर्किंग कपल्स के सामने सबसे बड़ी चुनौती टाइम मैनेजमेंट की होती है। लंबे समय तक काम करने के कारण अपने बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताना मुश्किल हो जाता है। इससे माता-पिता के लिए अपराधबोध और तनाव की भावना पैदा होती है।
बच्चों के करिअर एवं एजुकेशन पर प्रभाव – रिसर्च से पता चलता है कि जो बच्चे अपने पेरेंट्स के साथ क्वालिटी टाइम बिताते हैं वे अकादमिक रूप से बेहतर प्रदर्शन करते हैं और उनके जोखिम भरे व्यवहार में शामिल होने की संभावना कम होती है। इसके अलावा, जिन बच्चों का अपने माता-पिता के साथ मजबूत बॉन्डिंग होती है, वे अधिक आत्मविश्वासी होते हैं, जो भविष्य में उनके करियर पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
समाधान – इस समस्या का सबसे बड़ा समाधान यह है कि मां या पिता में से किसी एक व्यक्ति के कार्य का समय ठीक वही हो जो बच्चों के स्कूल का होता है। वैसे भी आज-कल स्कूल सात-आठ घंटे के हो ही गए हैं। इसके अलावा सप्ताह में एक बार फैमिली आउटिंग या गेम नाइट की योजना बनाना, जहां हर कोई एक साथ बिना किसी ध्यान भंग के समय बिता सके, माता-पिता और बच्चों के बीच के बॉन्डिंग को मजबूत कर सकता है।
बच्चों में अनुशासन की कमी : 4 Parenting Tips For Working Parents
कामकाजी माता-पिता के सामने एक और चुनौती बच्चे के जीवन में अनुशासन बनाए रखना है। जब माता-पिता दोनों कामकाजी होते हैं, तो बच्चे की गतिविधियों पर नजर रखना मुश्किल हो जाता है और इसके परिणामस्वरूप अनुशासन की कमी हो सकती है।
बच्चों के करिअर एवं एजुकेशन पर प्रभाव – शैक्षणिक सफलता और करिअर के विकास के लिए अनुशासन महत्वपूर्ण है। जो बच्चे अनुशासित होते हैं वे स्कूल में बेहतर प्रदर्शन करते हैं और उनके करिअर के लक्ष्यों को प्राप्त करने की संभावना अधिक होती है।
समाधान – इस समस्या का समाधान एक रूटीन बनाना और बच्चे के साथ अपेक्षाएं तय करना है। माता-पिता अपनी अपेक्षाओं पर चर्चा कर सकते हैं और नियम निर्धारित कर सकते हैं जिनका बच्चे को पालन करना चाहिए। माता-पिता स्वयं भी नियमों का पालन करें। इसके अतिरिक्त, अच्छा व्यवहार किए जाने पर तुरंत अवार्ड देकर इस तरह के व्यवहार को प्रोत्साहित किया जा सकता है।
सपोर्ट सिस्टम का अभाव : 4 Parenting Tips For Working Parents
पेरेंटिंग की चुनौतियों का प्रबंधन करने के लिए कामकाजी माता-पिता को एक सपोर्ट सिस्टम की आवश्यकता होती है। इसकी कमी से तनाव और चिंता हो सकती है, जो माता-पिता और बच्चों दोनों को प्रभावित करती है।
बच्चों के करिअर एवं एजुकेशन पर प्रभाव – सपोर्ट सिस्टम होने से तनाव और चिंता को कम करने में मदद मिल सकती है, जो बच्चे के शैक्षणिक प्रदर्शन और करिअर के विकास को प्रभावित कर सकता है। सकारात्मक वातावरण में बड़े होने वाले बच्चे अधिक फ्लेक्सिबल होते हैं और उनका मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है, जिसका उनके शैक्षणिक और व्यावसायिक जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
समाधान – इस समस्या का समाधान एक सपोर्ट सिस्टम का निर्माण करना है, जिसमें परिवार, पड़ोसियों और मिंत्रों की मदद ली जा सकती है। सपोर्ट सिस्टम होने से दिन-प्रतिदिन के कार्यों को प्रबंधित करने और तनाव कम करने में मदद मिल सकती है।
उदाहरण के लिए आपके अपने पड़ोसियों से इतने अच्छे रिलेशन हों कि आपके ऑफिस से घर जाने में आधा घंटा लेट होने पर ना आपको चिंता हो ना आपके बच्चे को या फिर घर पर दादा-दादी, नाना-नानी या अन्य कोई सदस्य रहता हो।
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