शादी में क्या होता है इमोशनल एब्यूज? महिलाओं को पता होनी चाहिए ये बातें
6 Signs Of Emotional Abuse In Marriage : भारत में इमोशनल ट्रॉमा पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है। हमारे देश में डिप्रेशन, एंग्जाइटी और मेंटल स्ट्रेस को अभी भी महज घबराहट का नाम देकर जाने दिया जाता है। इमोशनल एब्यूज जैसा टर्म समझने में कई साल लग जाते हैं। बच्चे को बड़े होते वक्त उसके लुक्स, पढ़ने-लिखने के तरीके, उसकी पर्सनैलिटी के लिए ताने मारना भी एक तरह का इमोशनल एब्यूज ही है। चाइल्डहुड ट्रॉमा की शुरुआत भी यहीं से आती है। पर आज हम जिस एब्यूज की बात करने जा रहे हैं, वो एक बहुत संजीदा रिश्ते में होती है।
शादी के बाद फिजिकल या फाइनेंशियल एब्यूज के बारे में तो सब समझ जाते हैं, लेकिन इमोशनल एब्यूज और मेंटल ट्रॉमा की बात यहां भी नहीं होती। ‘पति-पत्नी के बीच ये सब होता रहता है’ और ‘तुम्हें ये सब समझना चाहिए’ जैसी बातें बोलकर हम अपने घरों में होने वाली इमोशनल एब्यूज पर ध्यान नहीं देते हैं।
क्या है इमोशनल एब्यूज?
इमोशनल एब्यूज में किसी को डराना, कंट्रोल करना, अकेला छोड़ना, उन्हें बुरा-भला कहना या उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाना आ सकता है। इसमें फिजिकल वायलेंस शामिल नहीं होती है। इमोशनल वॉयलेंस आपके करीबी इंसान के साथ हो सकती है, आपके साथ हो सकती है या बच्चों के साथ भी हो सकती है। जरूरी नहीं कि इमोशनल एब्यूज सिर्फ पार्टनर ही करे। ससुराल का कोई अन्य सदस्य भी ऐसा कर सकता है।
इस तरह का एब्यूज या तो किसी इंसान के व्यवहार से समझ आता है या फिर उसके शब्दों से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। इस तरह का एब्यूज अमूमन एक मजाक या फिर एक आम घटना से शुरू होता है, लेकिन यह बार-बार बढ़ सकता है।
ऐसा नहीं है कि इमोशनल एब्यूज के लक्षण शादी के तुरंत बाद ही दिखने लगें। कई बार इस तरह का एब्यूज दिखने में कई साल लग जाते हैं। जिसके साथ यह हो रहा है उसे कई बार इसका अंदाजा ही नहीं लगता कि उसके साथ एब्यूज हो रहा है।
किस तरह से होता है इमोशनल एब्यूज?
इमोशनल एब्यूज के लक्षणों को अधिकतर आम व्यवहार मान लिया जाता है, लेकिन यह किसी व्यक्ति की सेल्फ रिस्पेक्ट पर बहुत असर डाल सकते हैं।
बेइज्जती करना : बार-बार किसी की बेइज्जती करना, दूसरों के सामने मजाक उड़ाना एक तरह का इमोशनल एब्यूज है।
बार-बार ऊंची आवाज में बात करना : सेल्फ रिस्पेक्ट खत्म करने का यह भी एक कारण हो सकता है। बार-बार ऊंची आवाज में बात करना अच्छा नहीं माना जा सकता है। भले ही सामने वाले ने आप पर हाथ ना उठाया हो, लेकिन ऊंची आवाज दिखाकर अपना डर जरूर बता दिया।
आपकी हर हरकत पर नजर रखना : आपकी जासूसी करना और बार-बार शक करना भी इमोशनल एब्यूज के अंतर्गत आता है।
बार-बार बुराई करना: मजाक उड़ाने के अलावा आपके हर काम में मीन-मेख निकालना और बेइज्जती करना भी एक तरह का इमोशनल एब्यूज होता है। आपके किसी भी अचीवमेंट को सिरे से नकार देना और फिर आपके काम की इज्जत ना करना भी एक तरह का इमोशनल एब्यूज है।
जरूरत से ज्यादा कंट्रोल करना : भले ही धमकी देकर, भले ही इमोशनल ब्लैकमेल करके, भले ही किसी और चीज के बारे में बोलकर किसी ना किसी तरह से अगर आपको कंट्रोल करने की कोशिश की जा रही है, तो यह गलत है।
गैसलाइट करना : आपको अपने ही फैसलों पर कंफ्यूज कर देना और फैसला बदलने के लिए मनाने की कोशिश करना भी इसी के अंतर्गत आएगा।
इसके अलावा, धमकी देना, बार-बार लेक्चर देना, आपको गिल्टी फील करवाना, छोटी-छोटी बातों पर बड़ा रिएक्शन देकर गुस्सा दिखाना आदि भी इसी के अंतर्गत आता है।
वैसे तो इमोशनल एब्यूज के बहुत सारे कारण हो सकते हैं, लेकिन इसे झेलने वाला लंबे समय तक अपने ही फैसलों को लेकर शंका में रहता है। इमोशनल एब्यूज के कई तरह के रिएक्शन हो सकते हैं। कई मामलों में इमोशनल एब्यूज को डोमेस्टिक वॉयलेंस के दायरे में रखकर देखा जाता है।
अगर आपके साथ भी ऐसा कुछ हो रहा है, तो आप डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट के तहत शिकायत दर्ज करवा सकती हैं। मानसिक प्रताड़ना के लिए भी हमारे संविधान में अलग से प्रावधान बनाए गए हैं।
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