Children Get Cerebral Palsy as Soon as They Are Born : सीरेब्रल पॉल्सी (Cerebral Palsy) या सीपी, एक विकार है जो
शारीरिक गतिविधियों को प्रभावित करता है और जिसमें बच्चों की सही चाल, बोली, और मांसपेशियों का नियंत्रण प्रभावित होता है। यह रोग जन्म से होता है या जन्म के बाद कुछ समय में विकसित होता है। इसमें मस्तिष्क के कुछ हिस्से में क्षमता की कमी होती है जो शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित करती है। इस लेख में, हम सीरेब्रल पॉल्सी का कारण और इसके निदान के बारे में विस्तार से जानेंगे।
सीरेब्रल पॉल्सी का कारण – (Cerebral Palsy Causes In Hindi)
सीरेब्रल पॉल्सी (Cerebral Palsy) निम्नलिखित कारणों के कारण हो सकती है:
- गर्भावस्था में संक्रामक या रक्तस्राव (Infections or Hemorrhages during Pregnancy):मां की गर्भावस्था के दौरान होने वाली संक्रामक बीमारियां या रक्तस्राव (हेमोरेज) सीरेब्रल पॉल्सी का कारण बन सकते हैं।
- जन्म के समय असामान्य स्थिति (Birth Complications):जन्म के समय होने वाली असामान्य स्थितियां जैसे लंबा प्रसव (Prolonged labor), जल्दी जन्म (Premature birth), या जन्म के दौरान अक्सीजन की कमी (Hypoxia) भी सीरेब्रल पॉल्सी के कारण बन सकती हैं।
- पोषण की कमी (Nutritional Deficiencies): गर्भावस्था के दौरान या शिशु के जन्म के बाद कम पोषण (Malnutrition) भी सीरेब्रल पॉल्सी का कारण बन सकता है।
- गर्भधारण की समस्याएं (Prenatal Problems): गर्भधारण के दौरान होने वाली कुछ समस्याएं जैसे गर्भाशय की संक्रमण, अनुवंशिक विकार, विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आना (Exposure to toxic substances) भी सीरेब्रल पॉल्सी के उत्पन्न होने का कारण बन सकती हैं।
- अनुवंशिकता (Genetics): कुछ मामलों में, सीरेब्रल पॉल्सी जीनेटिक म्यूटेशन (Genetic mutations) के कारण उत्पन्न हो सकती है।
सीरेब्रल पॉल्सी का निदान कैसे किया जाता है?
सीरेब्रल पॉल्सी के निदान के लिए विभिन्न परीक्षणों का उपयोग किया जाता है। निम्नलिखित टेस्ट और परीक्षण विधियां सीरेब्रल पॉल्सी के निदान में मदद कर सकती हैं:
जन्म के समय विश्लेषण (Birth Examination): डॉक्टर जन्म के समय शिशु की जांच करते हैं और उनके शारीरिक गतिविधियों और शारीर के हिस्सों का मूल्यांकन करते हैं।
बचपन में विश्लेषण (Childhood Evaluation):यदि किसी बच्चे में सीरेब्रल पॉल्सी के संकेत हों तो, चिकित्सक उनकी चाल, बोली, मांसपेशियों के नियंत्रण और अन्य शारीरिक क्षमताओं का मूल्यांकन करेंगे।
इमेजिंग परीक्षण (Imaging Tests):इंफॉर्मेशन और निदान के लिए चिकित्सक एक या अधिक इमेजिंग परीक्षण करवा सकते हैं। ये परीक्षण मस्तिष्क की संरचना, रक्तसंचार, और क्षमता की जांच कर सकते हैं, जैसे कि मृदुल ब्रेन स्कैन (Soft Brain Scan), कंप्यूटर टॉमोग्राफी (CT Scan), और मैग्नेटिक रिजनेंस इमेजिंग (MRI)।
न्यूरोलॉजिकल परीक्षण (Neurological Examination):न्यूरोलॉजिकल परीक्षण में चिकित्सक बच्चे की संज्ञानात्मक और शारीरिक क्षमताओं की जांच करते हैं, जैसे कि सद्भाव स्पष्टता, मोटापन, और मांसपेशियों की स्थिरता।
जीवाशारीरिक परीक्षण (Electrophysiological Tests): जीवाशारीरिक परीक्षण के माध्यम से चिकित्सक नसों और मांसपेशियों के कार्य की जांच कर सकतेहूँ। यहां कुछ टेस्ट और परीक्षण विधियां उपयोगी संग्रहीत कर रहूंगा:
इलेक्ट्रोएन्सेफालोग्राफी (Electroencephalography, EEG): इस टेस्ट के द्वारा शिशु के मस्तिष्क की सक्रियता का मूल्यांकन किया जाता है। इसके द्वारा विभिन्न गतिविधियों और असामान्य गतिविधियों को देखा जा सकता है जो सीरेब्रल पॉल्सी के मामलों में हो सकती हैं।
मांसपेशी बिजली की गति (Electromyography, EMG):इस टेस्ट के द्वारा मांसपेशियों की कार्यक्षमता और संचार की जांच की जाती है। यह टेस्ट शिशु के मांसपेशियों के असामान्य गतिविधियों का पता लगाने में मदद कर सकता है।
इंपेडेंस ऑडियोमेट्री (Impedance Audiometry): इस टेस्ट के द्वारा शिशु के श्रवण क्षेत्र की जांच की जाती है। यह टेस्ट श्रवण नरों की कार्यक्षमता और असामान्यताओं का पता लगाने में मदद कर सकता है।
एक्स-रे और सीटी स्कैन (X-rays and CT Scan): इन इमेजिंग टेस्टों के द्वारा मस्तिष्क और शरीर के अंगों की छवि बनाई जाती है। यह टेस्ट मस्तिष्क की क्षमता की कमी और अनोखे रूप में विकसित होने वाले रोगाणुओं को दिखा सकता है।
मैग्नेटिक रेजनेंस इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging, MRI):एमआरआई टेस्ट शिशु के मस्तिष्क की तस्वीरें बनाने के लिए उपयोगी होता है। यह टेस्ट मस्तिष्क के क्षेत्रों और रक्तसंचार की असामान्यताओं की जांच कर सकता है।