Deadly H3N2 VIrus: Know The Symptoms, Treatment

जानलेवा हुआ H3N2 virus… जानिए लक्षण, इलाज, कोविड जैसे खतरा और बचाव पर सभी सवालों के जवाब

Deadly H3N2 VIrus: Know The Symptoms, Treatment

Deadly H3N2 VIrus: Know The Symptoms, Treatment:कोविड जाता नजर आ रहा है लेकिन दूसरा वायरल इन्फेक्शन अब चिंता बढ़ाने लगा है. देशभर में इन्फ्लूएंजा वायरस के A सबटाइप H3N2 के मामले बढ़ रहे हैं. कई मामलों में संक्रमितों को गंभीर बीमारी हो रही है. इसके लक्षण भी कोविड के जैसे ही हैं. इसलिए जानना जरूरी है कि ये कितना खतरनाक है? अचानक से क्यों बढ़ रहे हैं सर्दी-खांसी और बुखार के मामले?

 

Deadly H3N2 VIrus: Know The Symptoms, Treatment

तीन साल बाद कोरोना महामारी से राहत मिल रही थी, लेकिन इन्फ्लूएंजा वायरस H3N2 ने फिर से चिंता बढ़ा दी है. कुछ महीनों से सर्दी-जुकाम और बुखार के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. लेकिन अब ये जानलेवा भी बनता जा रहा है. इस वायरल बीमारी से अब तक 6 लोगों की मौत हो गई है. सूत्रों के मुताबिक कर्नाटक, पंजाब और हरियाणा में H3N2 से मौत हुई है. हालांकि, अभी और जांच की जा रही है.

एक्सपर्ट्स का भी कहना है कि मौसम बदलने पर फ्लू के मामले बढ़ते जरूर हैं, लेकिन इस बार कुछ ज्यादा ही मरीज सामने आ रहे हैं.

कुछ दिन पहले इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी ICMR ने बताया था कि बीते दो-तीन महीनों से इन्फ्लूएंजा वायरस के A सबटाइप H3N2 के कारण बुखार और सर्दी-खांसी के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि H3N2 के कारण अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ी है.

H3N2 के लक्षण कोरोना के तरह ही हैं जो चिंता बढ़ाते हैं. इसकी चपेट में आने के बाद लोगों को थकान और कमजोरी से उबरने में दो हफ्ते से ज्यादा का समय लग रहा है.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) का कहना है कि मौसमी बुखार फैल रहा है. बुखार तो दो-तीन दिन में चला जाता है लेकिन सर्दी-खांसी तीन हफ्तों तक रह रही है. प्रदूषण के कारण भी 15 साल से कम और 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में सांस की नली में संक्रमण बढ़ रहा है.

कहीं कोविड ही तो नहीं फैल रहा फिर से?

  • कानपुर के हैलट हॉस्पिटल की डॉ. ऋचा गिरी ने बताया कि कोविड और इस वायरस में अंतर कर पाना काफी मुश्किल है क्योंकि इन्फ्लूएंजा A का सबटाइप है.
  • उन्होंने बताया कि सिर्फ टेस्ट के जरिए ही दोनों में अंतर पता किया जा सकता है. कोविड और इन्फ्लूएंजा कि टेस्टिंग किट भी अलग-अलग होती है.
  • एम्स दिल्ली के मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ. पीयूष रंजन ने बताया कि कोविड लोअर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट को प्रभावित करता है, जबकि H3N2 अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट पर असर डालता है जिसमें बुखार और सर्दी-खांसी जैसे लक्षण लंबे समय तक रहते हैं.
  • डॉ. पीयूष ने बताया कि दोनों के लक्षण लगभग एक जैसे ही हैं, इसलिए कई अस्पतालों में H3N2 का टेस्ट किया जा रहा है लेकिन ये टेस्ट गैरजरूरी और महंगा है और ये सरकारी अस्पतालों में नहीं हो रहा है. निजी अस्पतालों में इसकी जांच 6 हजार रुपये में होती है.
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H3N2 की जांच कब जरूरी? 

  • एम्स दिल्ली में प्लमोनोलॉजी डिपार्टमेंट के डॉ. अनंत मोहन बताते हैं कि H3N2 की जांच बहुत गंभीर और अप्रत्याशित मामलों में ही की जानी चाहिए या फिर जब मरीज ठीक नहीं हो रहा है या फिर इन्फ्लूएंजा संक्रमण पकड़ में न आ रहा हो.
  • उन्होंने बताया कि इस बार सूखी खांसी के मरीज ज्यादा हैं. इसके ज्यादातर मरीज बिना किसी खास इलाज के ही ठीक हो जाते हैं. इन्फ्लूएंजा से संक्रमित ज्यादातर लोगों को चेस्ट एक्स-रे की जरूरत भी नहीं पड़ती.

H3N2 के लक्षण क्या हैं?

  •  नाक बहना.
  •  तेज बुखार.
  •  खांसी (शुरुआत में गीली और फिर लंबे समय तक सूखी)
  • चेस्ट कंजेशन
  •  WHO के मुताबिक, मौसमी इन्फ्लूएंजा से संक्रमित होने पर बुखार, खांसी (आमतौर पर सूखी), सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, थकावट, गले में खराश और नाक बहने जैसे लक्षण नजर आते हैं.
  • ज्यादातर लोगों का बुखार एक हफ्ते में ठीक हो जाता है लेकिन खांसी ठीक होने में दो या उससे ज्यादा हफ्ते का समय लग जाता है.

 क्यों बढ़ रहे हैं इन्फ्लूएंजा के मामले?

  • दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. धीरेन गुप्ता बताते हैं कि ऐसा माना जा रहा है कि कोरोना के कारण हमारी इम्युनिटी कमजोर हो गई है. ऐसे में न सिर्फ वायरल इन्फेक्शन के केस बढ़ रहे हैं, बल्कि इनकी गंभीरता भी बढ़ रही है.
  •  डॉ. गुप्ता ने बताया कि हम उम्मीद कर रहे थे कि कोविड के बाद इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियां कम हो जाएंगी लेकिन इसका उल्टा हो रहा है. वायरल इन्फेक्शन बढ़ रहे हैं जो अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट को प्रभावित कर रहे हैं.
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इनफ्लूएंजा मतलब क्या?

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, मौसमी इन्फ्लूएंजा वायरस चार टाइप- A, B, C और D का होता है. इनमें A और B टाइप से मौसमी फ्लू फैलता है.
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  • हालांकि, इनमें इन्फ्लूएंजा A टाइप को महामारी का कारण माना जाता है. इन्फ्लूएंजा टाइप A के दो सबटाइप होते हैं. एक होता है H3N2 और दूसरा- H1N1.
  • वहीं, इनफ्लूएंजा टाइप B के सबटाइप नहीं होते लेकिन इसके लाइनेज हो सकते हैं. टाइप C को बेहद हल्का माना जाता है और खतरनाक नहीं होता. जबकि, टाइप D मवेशियों में फैलता है.
  • आईसीएमआर के मुताबिक, कुछ महीनों में कोविड के मामले कम हुए हैं लेकिन H3N2 के मामले में बढ़ोतरी हुई है. सर्विलांस डेटा बताता है कि 15 दिसंबर के बाद से H3N2 के मामले बढ़े हैं.
  • आईसीएमआर ने बताया कि सीवियर एक्यूट रेस्पेरिटरी इन्फेक्शन (SARI) से पीड़ित आधे से ज्यादा लोग H3N2 से संक्रमित मिले हैं.

 किन्हें ज्यादा खतरा?

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  • वैसे तो इन्फ्लूएंजा किसी भी उम्र के व्यक्ति को कभी भी हो सकता है. लेकिन इससे सबसे ज्यादा खतरा गर्भवती महिलाओं, 5 साल से कम उम्र के बच्चे, बुजुर्ग और किसी बीमारी से जूझ रहे व्यक्ति को है.
  • इनके अलावा हेल्थकेयर वर्कर्स को भी इन्फ्लूएंजा से संक्रमित होने का सबसे ज्यादा खतरा होता है.

 फैल सकता है ये:Deadly H3N2 VIrus: Know The Symptoms, Treatment

  • चूंकि ये वायरल बीमारी है, इसलिए किसी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ये आसानी से फैल सकती है. WHO के मुताबिक, भीड़भाड़ वाली जगहों पर ये आसानी से फैल सकता है.
  • इन्फ्लूएंजा से संक्रमित कोई व्यक्ति जब खांसता या छींकता है तो उसके ड्रॉपलेट हवा में एक मीटर तक फैल सकते हैं और जब कोई दूसरा व्यक्ति सांस लेता है तो ये ड्रॉपलेट उसके शरीर में चले जाते हैं और उसे संक्रमित कर देते हैं.
  •  इतना ही नहीं, किसी संक्रमित सतह को छूने से भी ये वायरस फैल सकता है. लिहाजा, खांसते या छींकते समय मुंह को ढंकना जरूरी है. साथ ही बार-बार अपने हाथ भी धोते रहना चाहिए.

 क्या करें-क्या न करें:Deadly H3N2 VIrus: Know The Symptoms, Treatment

  • क्या करें?

– मास्क पहनें और भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें.
– बार-बार अपनी आंखों और नाक को छूने से बचें.
– खांसते या छींकते समय मुंह और नाक ढंककर रखें.
– बुखार या बदनदर्द होने पर पैरासिटामोल लें.

  • क्या न करें?

– हाथ मिलाने और किसी भी तरह की गेदरिंग से बचें.
– सार्वजनिक जगहों पर थूकने से बचें.
– डॉक्टर की सलाह के बिना एंटीबायोटिक या दवा न लें.
– आसपास या नजदीक बैठकर खाना न खाएं.

 कितना खतरनाक है ये?

  • ज्यादातर लोग बिना किसी मेडिकल केयर के ही इन्फ्लूएंजा से ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ मामलों में ये इतना गंभीर हो सकता है कि मरीज की मौत भी हो सकती है.
  • WHO के मुताबिक, हाई रिस्क में शामिल लोगों के अस्पताल में भर्ती होने और मौत होने के मामले ज्यादा सामने आते हैं.
  • अनुमान है कि हर साल दुनियाभर में गंभीर बीमारी के 30 से 50 लाख मामले सामने आते हैं. इनमें से 2.90 लाख से लेकर 6.50 लाख मौतें होतीं हैं.

कहां बढ़ रहे हैं इन्फ्लूएंजा के मामले?

  •  पूरे देश में ही इन्फ्लूएंजा के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है. आईसीएमआर का डेटा बताता है कि कुछ महीनों में कोविड के मामले कम हुए हैं, जबकि H3N2 के केस बढ़ रहे हैं.
  • गंगाराम अस्पताल के डॉ. धीरेन गुप्ता बताते हैं कि पहले वायरल इन्फेक्शन मामलों की संख्या आमतौर पर 5% से कम होती थी जो अब बढ़ गई है.
  • यूपी के कई अस्पतालों में मामलों में 30% की बढ़ोतरी देखी जा रही है. जबकि दिल्ली के अस्पतालों में भी मामले 20% तक बढ़ गए हैं.

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