मेडिटेशन से बेहतर होते हैं रिश्ते:ध्यान का अभ्यास करने से रिश्तों में आने वाली हर उलझन को सुलझाना आसान हो जाता है
मेडिटेशन होता क्या है…
यह हज़ारों साल पुराना एक यौगिक अभ्यास है, जिससे वर्तमान क्षण का गहराई से अहसास होता है। इसके क़रीब नौ प्रकार प्रचलित हैं, जिनकी मदद से ध्यान और फोकस को धारदार बनाने में मदद मिलती है, सांस और शरीर से बेहतर जुड़ाव बनता है और जटिल मनोभावों को समझने में आसानी होती है। नौ प्रकार की ध्यान विधियों में से हम मेट्टा मेडिटेशन की बात कर रहे हैं। यह प्राचीन ध्यान विधि सहानुभूति और सार्थक संबंधों के लिए हमारी क्षमता को फिर से जाग्रत करती है।
रिश्तों में दोष, अवांछित निर्णय या असंतोष होना कोई असामान्य बात नहीं है। दोष, फ़ैसले और असंतोष जैसी मानसिक स्थितियां हमारी मानसिक व्यस्तता के चलते ख़ुद के अहंकार से जन्म लेती हैं। जब मन उलझा होता है, तो रिश्तों में दरार और बाधाएं आती हैं। मेट्टा मेडिटेशन एक ऐसा उपाय है जो हमें इस दूषित मायाजाल से निजात दिला सकता है, और अपने और अपने आसपास के लोगों के लिए सहानुभूति और समझ की गहरी भावना विकसित कर सकता है।
मेट्टा मेडिटेशन को लविंग-काइंडनेस मेडिटेशन भी कहा जाता है। इस ध्यान विधि में कुछ वाक्यों या इरादों को चुपचाप दोहराया जाता है जिससे भलाई को बढ़ावा मिलता है और सभी प्राणियों के लिए प्यार और ख़ुशी की भावना जन्म लेती है। इस मेडिटेशन के माध्यम से हम अपने अंदर दया की भावना विकसित कर सकते हैं, अपने हृदय को सभी प्राणियों के लिए करुणा भाव से भर सकते हैं, और उनके साथ एक गहरा संबंध स्थापित कर सकते हैं।
प्रेम और दया की बुनकरी
इस मेडिटेशन में सांसों की लय और भाव से हम अपने आंतरिक उपवन में एक टेपेस्ट्री (कपड़ा जिसमें चित्र बनता है) बुनते हैं। प्रत्येक सांस के साथ हम अपने अस्तित्व को आत्म-करुणा के साथ स्वीकार करते हैं, अपने आंतरिक प्रकाश का पोषण करते हैं और दूसरों के साथ गहरे जुड़ाव को क़ायम करने की अपनी क्षमता को फिर से विकसित करते हैं।
अफ़रा-तफ़री के बीच शांति
जब हम ध्यान का अभ्यास करते हैं तो अराजकता के बीच जगह बनाने और शांति के क्षणों में सांत्वना पाने की तत्काल ज़रूरत को पहचानते हैं। मेट्टा मेडिटेशन एक ऐसा बाग़ बन जाता है, जहां हम दुनिया के शोर से एक पल के लिए अलग हो सकते हैं और करुणा और प्रेम के गहरे भाव को विकसित करने के लिए अंदर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
गहरा होता जाता है जुड़ाव
गंभीर और गहरे जुड़ाव वाले संवाद के अभाव में रिश्ते बिखर जाते हैं। ऐसे में यह मेडिटेशन एक पुल की तरह काम करता है और गहन संवाद को बढ़ावा देता है। इस तरह के मेडिटेशन से हमें दूसरों के साथ जुड़े रहने, उनके साथ सहानुभूति रखने और उन्हें समझने में मदद मिलती है। अजनबियों के साथ भी हमारी बातचीत गर्मजोशी और ईमानदारी से भरी होती है।
सबके स्वीकार्य का भाव
इसके अभ्यास से जितना ज़्यादा हमारा दिल खुलता है उतना ही हम सभी के लिए प्यार, ख़ुशी और भलाई की कामना करते हैं। मिसाल के तौर पर, हम इस वाक्य को दोहरा सकते हैं – ‘मेरे दोस्तों, मेरे परिजनों के जीवन में स्नेह, शांति और प्रसन्नता आए। वे सुरक्षित रहें।’ बार-बार ऐसा कहने और महसूस करने से सकारात्मक तंरगें बनेंगी, जो आपके और आपके रिश्तों को सुदृढ़ करेंगी।
ख़ुद को समझने का सुख
यह कहा जा सकता है कि मेट्टा ध्यान विधि का अभ्यास हमारे संबंध की सहज क्षमता को जगाने की गहरी क्षमता रखता है। आधुनिक जीवन की उथल-पुथल के बीच इस तरह का ध्यान हमें शांति और ख़ुद को समझने का सुख प्रदान करता है।
पूरा जीवन बदलने में सक्षम
इस ध्यान विधि से हमारे अंदर सहानुभूति और अंतर्संबंध विकसित होते हैं। समाज में हर कोई गहरे जुड़ाव की लालसा रखता है, ऐसे में अगर मेट्टा मेडिटेशन किया जाए तो सच्चे रिश्तों की समझ को बढ़ावा दिया जा सकता है और एक ऐसी दुनिया का निर्माण किया जा सकता है जो करुणा और समझ पर चलती हो।
ध्यान कैसे-कैसे…
ध्यान को उनकी अभ्यास विधि के अनुसार चार प्रमुख प्रकारों में बांटा जा सकता है-
- देखना
- सुनना
- श्वास लेना
- आंखें बंद करके मौन होकर सोच पर ध्यान केंद्रित करना।
इनको आप लेटकर, बैठकर, खड़े रहकर और चलते-चलते भी कर सकते हैं। ध्यान के चार प्रकारों के हज़ारों उप-प्रकार हो सकते हैं।
ध्यान के पारंपरिक तीन प्रकार हैं-
- स्थूल ध्यान
- ज्योतिर्ध्यान
- सूक्ष्म ध्यान।
ध्यान की योग और तंत्र में हज़ारों विधियां बताई गई है। हिंदू, जैन, बौद्ध तथा साधु संगतों में अनेक विधि और क्रियाओं का प्रचलन है। विधि और क्रियाएं आपकी शारीरिक और मानसिक तंद्रा को तोड़ने के लिए हैं जिससे कि आप ध्यानपूर्ण हो जाएं।
ध्यान विधियों के कुछ प्रकार हैं
- माइंडफुल मेडिटेशन
- आध्यात्मिक ध्यान
- फोकस्ड मेडिटेशन
- मूवमेंट मेडिटेशन
- मंत्र ध्यान विधि
- परानुभूति ध्यान विधि
- प्रोग्रैसिव रिलैक्सेशन
- चित्र कल्पना ध्यान विधि
- प्रेम-कृपा-ध्यान यानी मेट्टा मेडिटेशन
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