Ahoi Ashtami 2023 Calender Significance

Ahoi Ashtami 2023: जानें अहोई अष्टमी पर कैलेंडर बनाने का महत्व

Ahoi Ashtami 2023 Calender Significance : हिंदू धर्म में अहोई अष्टमी व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और अहोई माता की पूजा-अर्चना करती हैं।

हिंदू कैलेंडर के अनुसार अहोई अष्टमी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आती है। यह व्रत सभी माताओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इस दिन विशेष अनुष्ठान भी की जाती है। अब ऐसे में अहोई अष्टमी का महत्व क्या है। इसके बारे में जानना जरूरी है।

आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि अहोई अष्टमी के दिन किस विधि से पूजा करना शुभ माना जाता है।

जानें अहोई अष्टमी का क्या है महत्व ?

Ahoi Ashtami 2023 Calender Significance

अहोई अष्टमी व्रत भी भी बेहद कठिन माना जाता है। इस दिन माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और उनकी तरक्की के लिए व्रत रखती हैं और अहोई माता की पूजा करती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि और खुशी की रक्षा होती है और सभी मनोकामना भी पुरी होती है।

यह पर्व मां और बच्चे के बीच अटूट प्रेम को दर्शाता है। इस दिन माताएं अपने बच्चों के कल्याण, प्यार और सफलता के लिए कठोर व्रत का नियमानुसार पालन करती हैं।

अहोई अष्टमी के दिन इस विधि से बनाएं चित्र 

Ahoi Ashtami 2023 Calender Significance

अहोई अष्टमी के दिन सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और व्रत संकल्प लें। व्रत संकल्प लेते हुए कहें कि ‘हे अहोई माता! मैं अपनी संतान की लंबी उम्र और उसके सुखमय जीवन के लिए यह व्रत कर रहीं हूं। हे माता! मेरी संतानों को सुखी और स्वस्थ रखें।

इस व्रत में मां अहोई की पूजा की जाती है। इस दिन उनके पूजा के लिए गेरु से दीवार पर अहोई माता की चित्र बनाएं और इस बात का ध्यान रखें कि चित्र में अहोई माता के साथ स्याहु और उनके 7 पुत्रों को जरूर बनाएं।

उसके बाद जब चित्र बन जाए, तो मां को चावल मूली और सिंघाड़ा फल चढ़ाएं और सुबह दीया रखकर कथा पढ़ें। कथा के दौरान जो अक्षत हाथ में लेते हैं, उसे अपनी साड़ी के आंचल में बांधकर रख लें। इसी के साथ पूजा के समय एक लोटे में पानी और उसके ऊपर एक करवे में पानी रखा जाता है और संध्या के समय फिर से बनाए गए चित्र की पूजा की जाती है। पश्चात जो लोटा पूजा में इस्तेमाल किया जाता है। उसी लोटे के पानी से शाम को चावल के साथ अर्घ्य दें।

वहीं अहोई पूजा में चांदी की अहोई विधिवत बनाई जाती है। जिसे साही कहा जाता है। साही की पूजा दूध, भात और रोली से की जाती है।

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